अफसाना लेखनी प्रतियोगिता -23-Jan-2022
कहानी का शीर्षक - अफसाने
आज अनीता भाभी का फोन आया उन्होंने कहा अब अपना ग्रुप रहे या जाए ....लेकिन हम शीला जी से बात नहीं करेंगे। काम के समय में भी सिर्फ बात रहता है। और बात भी ऐसा जिसका ना सिर होता है ना पांव।
हम भी सोच में पड़ गए, आखिर ऐसी क्या बात है । यह दोनों सिर्फ पड़ोसन नहीं । दोनों की बिरादरी एक है ।दोस्ती गहरी है। दूर की रिश्तेदारी भी है। फिर इतनी जल्दी बातचीत बंद होने के पीछे क्या कारण है।
महिलाओं वाली गौसीप की शौकीन नहीं रहते हुए भी, हमारे पेट में दर्द शुरू हो गया... आखिर वो कौन सी बात है, उस बात को जानने की तलब इतनी ज्यादा थी, कि हम उन दोनों को इकट्ठा अपने घर बुलाने के बहाने ढूंढने लगे। क्योंकि वह बात तो तभी खुलती जब दोनों साथ होती। नहीं तो किसी एक से हमें खुलकर वह बात पूछनी पड़ती। और हम स्वभाव से ही कुछ ऐसे हैं कि, किसी के फटे में टांग नहीं लगाते। सभी हमारे इस स्वभाव से वाकिफ भी है। इसलिए कोई किसी की चुगली करने तो हमारे पास कभी नहीं आता है। क्योंकि चूगलीयों के हमारे पास नमक मिर्च लगाकर #अफसाने नहीं बनते। उन बातों पर पर्दा डाल कर उसे सात तालों में बंद कर देने की हमारी आदत रही है।
लेकिन आज अपनी बेवकूफी हमें परेशान कर रही है। पेट के चूहे भूख से नहीं, इस बात की जानकारी के लिए मचल रहे हैं । और आज तो चुहे गुड गुड भी कर रहे हैं।
अंततः हमने इडली ,सांभर ,चटनी बनाया। और सब को खाने पर बुलाया। अपने घर में पार्टी जैसा रंग जमाया। अपनी खरगोश जैसी कान खड़े कर रखी थी, जल्दी से चूहों का निवारण मिल जाए। हमें वो कारण मिल जाए....
लेकिन हमारी सखियों को पता है कि हम दूसरे की बातों में इंटरेस्ट नहीं रखते, इसलिए हमारे सामने वह लोग जल्दी उस तरह की बात करती नहीं है।
बिल्ली की अम्मा कब तक खैर मनाती । हमारी पड़ोसिनें अपने स्वभाव से कितने देर बाज आते । बातें करते-करते पहुंची उस मोड़ पर जहां से शुरू हुई थी, वह कहानी जो बनके हमारी पेट की उलझन... हमें बेचैन करी हुई है।
दरअसल शीला दीदी की अपनी बहू से बन नहीं रही। और आजकल का आलम है कि वह बहू को कुछ कहती है तो बहू को पलट कर जवाब देती है। इतना ही नहीं बेटा भी बहू का साथ देता है। इस बात से शीला दीदी इतनी आदत है कि वह हर किसी को पकड़ पकड़ कर अपनी दुख भरी दास्तान सुना देती है।
चुकी शीला दीदी की बहू, अनीता दीदी के ही मायके तरफ की है। इसलिए उसकी शिकायत, अनीता दीदी को चुभ ही जाती है।
बात बहुत बड़ी नहीं , बिल्कुल ही नाजुक सी बात है। लेकिन घर की बात घर में ना रख कर बाहर ले जाने की वजह से इसका #अफसाना बन चुका है। पड़ोसियों के बीच फसाने बनके मनोरंजन का साधन रूप ले चुके हैं।
हमारे पेट का गुड गुड तो ठीक हो गया। लेकिन हम सोच में पड़ गए हैं कि हमारे समाज का यह #अफसाना कब कंट्रोल होगा।
ज्योति सिन्हा मुजफ्फरपुर, बिहार
Shrishti pandey
25-Jan-2022 08:32 AM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
24-Jan-2022 09:36 PM
बहुत खूबसूरत
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Punam verma
24-Jan-2022 09:24 PM
Very nice
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